हनुमान जी का दिव्य शाबर मन्त्र

Hanumanji ka shabar mantra-min (1)

इस मंत्र द्वारा जातक पर किये गए सभी अभिचार~प्रयोग, किया~कराया, भेजा~भेजाया, खिलाया~पिलाया, लगा~लगाया सब समाप्त होते हैं।

लगा~लगाया अर्थात भूत~प्रेत बाधा से है किसी भी प्रकार की ऊपरी शक्तियों की बाधा को यह उसी प्रकार उडा देता है जिस प्रकार आंधी मे रुई उड़ जाती है। शत्रु स्तंभन के लिए भी यह महान् अस्त्र है।  बंद व्यापार हनुमान जी कृपा से तुरंत खुलता है।

इस मंत्र के प्रभाव से उच्चाधिकारी मोहित होकर मित्रता पूर्वक व्यवहार करने लग जाते हैं।

*“ॐ गर्जन्तां घोरन्तां, इतनी छिन कहाँ लगाई ???*
*साँझ की वेला,*
*लौंग~सुपारी~पान~फूल~इलायची~धूप~दीप~रोट~लँगोट~फल~फलाहार मो पै माँगै।*
*अञ्जनी~पुत्र प्रताप~रक्षा~कारण वेगि चलो।*
*लोहे की गदा कील,*
*चं चं गटका चक कील,*
*बावन भैरो कील,*
*मरी कील,*
*मसान कील,*
*प्रेत~ब्रह्मराक्षस कील,*
*दानव कील,*
*नाग कील,*
*साढे बारह ताप कील,*
*तिजारी कील,*
*छल कील,*
*छिद कील,*
*डाकनी कील,*
*साकनी कील,*
*दुष्ट कील,*
*मुष्ट कील,*
*तन कील,*
*काल~भैरो कील,*
*मन्त्र कील,*
*कामरु देश के दोनों दरवाजा कील,*
*बावन वीर कील,*
*चौंसठ जोगिनी कील,*
*मारते के हाथ कील,*
*देखते के नयन कील,*
*बोलते के जिह्वा कील,*
*स्वर्ग कील,*
*पाताल कील,*
*पृथ्वी कील,*
*तारा कील,*
*कील बे कील,*
*नहीं तो अञ्जनी माई की दोहाई फिरती रहे।*
*जो करै वज्र की घात,*
*उलटे वज्र उसी पै परै।*
*छात फार के मरै।*
*ॐ खं-खं-खं जं-जं-जं वं-वं-वं रं-रं-रं लं-लं-लं टं-टं-टं मं-मं-मं।*
*महा रुद्राय नमः।*
*अञ्जनी-पुत्राय नमः।*
*हनुमताय नमः।*
*वायु-पुत्राय नमः।*
*राम-दूताय नमः।”*

विधि~
अत्यन्त लाभ-दायक अनुभूत मन्त्र है। १००८ पाठ करने से सिद्ध होता है। 

बिना कील लगी आम की लकडी की चौकी पर, लाल वस्त्र का आसन देकर श्री राम दरबार का चित्र प्रतिष्ठापित करके, पंचोपचार पूजन करे (स्नान,  लाल चंदन,  सुगंधित पुष्प, गुग्गुल की अंगार पर धूप और दीपक मे देशी घी की बती) आम की लकडी की समिधा लेकर ध्यान पूर्वक उपरोक्त मंत्र से लाल फूल और गुग्गूल की आहुति दें। लाल लँगोट, फल, मिठाई, 5 लौंग, 5 इलायची, 1 सुपारी चढ़ा कर पाठ करें।

नियम और सावधानी~

मंगलवार से प्रारम्भ कर मंगलवार तक १००८ जप संपूर्ण कर ले।
कम से कम 21 आहूति का यज्ञ प्रतिदिवस आवश्यक रुप से करें।
भूमि शयन करें।

ब्रह्मचर्य पालन करें।

साधना की कालावधि में दाढी, बाल, नख आदि नही काटने हैं।
कटु वचन किसी से न बोले।

एक समय मालपुओ का भोजन करे, उपलब्ध न होने पर दलिया,  फल आदि का एक समय सेवन करें।

इस मंत्र के साधक को सदैव महिलाओं का सम्मान करना होता है।

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