भगवान श्री गुरु दत्तात्रय मंत्र

Shri guru dattatrey-min (1)

मालाकमंडलुरधः करपद्मयुग्मे, मध्यस्थ पाणियुगुले डमरूत्रिशूले
यस्यस्त उर्ध्वकरयोः शुभशंखचक्रे वंदे तमत्रिवरदं भुजषटकयुक्तम

ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय स्मरण मात्र सन्तुष्टाय |

ॐ गुरु दत्ता नमो नमः|

ॐ आं ह्रीं क्रों एहि दत्तात्रेयाय स्वाहा |

ॐ ऐं क्रों क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं सौः दत्तात्रेयाय स्वाहा

दत्तात्रेय हरे कृष्ण उन्मत्तानन्ददायक
दिगंबर मुने बाल पिशाच ज्ञानसागर

ॐ शैली, शृंगी, कथा, झोली, बहुत लगाया तनमो
कोटि चन्द्र का तेज झुलत है चालत अपना गतमो

ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय, स्मरणमात्रसन्तुष्टाय, महाभयनिवारणाय महाज्ञानप्रदय, चिदानन्दात्मने बालोन्मत्तपिशाचवेषाय, महायोगिने अवधूताय, अनसूयानन्दवर्धनाय अत्रिपूत्राय, ॐ भवबन्धविमोचनाय, आं असाध्यसाधनाय, ह्रीं सर्वविभूतिदाय, क्रौं असाध्याकर्षणाय, ऐं वक्प्रदाय, क्लीं जगत्रयशीकरणाय, सौः सर्वमनःक्षोभणाय, श्रीं महासंपत्प्रदाय, ग्लौं भूमंडलाधिपत्यप्रदाय, द्रां चिरंजीविने, वषट्वशिकुरु वशिकुरु, वैषट् आकर्षय आकर्षय, हुं विद्वेषय विद्वेषय, फत् उच्चाटय उच्चाटय, ठः ठः स्तंभय स्तंभय, खें खें मारय मारय, नमः संपन्नय संपन्नय, स्वाहा पोषय पोषय, परमन्त्रपरयन्त्रपरतन्त्राणि छिंधि छिंधि, ग्रहान्निवारय निवारय, व्याधीन् विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर, दारिद्र्यं विद्रावय विद्रावय, देहं पोषय पोषय, चित्तं तोषय तोषय, सर्वमन्त्रस्वरुपाय, सर्वयन्त्रस्वरुपाय, सर्वतन्त्रस्वरुपाय, सर्वपल्लवस्वरुपाय, ॐ नमो महासिद्धाय स्वाहा |

 

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